परग्रही सभ्यता मे वैज्ञानिक विकास : परग्रही जीवन श्रंखला भाग ८

यदि हम मानव इतिहास के पिछले १००,००० वर्षो मे विज्ञान के विकास पर दृष्टिपात करे तो हम पायेंगे कि यह अफ्रिका मे मानव के जन्म से लेकर अब तक यह उर्जा की खपत मे बढो़त्तरी का इतिहास है। रशियन खगोल विज्ञानी निकोलाइ कार्दाशेव के अनुसार सभ्यता के विकास के विभिन्न चरणो को ऊर्जा की खपत के अनुसार श्रेणीबद्ध लिया जा सकता है। इन चरणो के आधार पर परग्रही सभ्यताओं का वर्गीकरण किया जा सकता है। भौतिकी के नियमो के अनुसार उन्होने संभव सभ्यताओं को तीन प्रकार मे बांटा। 1 पढ़ना जारी रखें “परग्रही सभ्यता मे वैज्ञानिक विकास : परग्रही जीवन श्रंखला भाग ८”

अनुपात का सिद्धांत और दानवाकार प्राणी: परग्रही जीवन श्रंखला भाग ७

किंग कांगहॉलीवुड की फिल्मो मे कुछ जीवो को विशालकाय दिखाया जाता है जैसे किंग कांग या गोड्जीला। इसी तरह परग्रही जीवो को भी कभी कभी विशालकाय मान लीया जाता है। लेकिन किसी भी जीव के आकार की एक सीमा होती है, वह उससे ज्यादा विशाल नही हो सकता। यदि किंग कांग सचमुच मे होता तब वह न्युयार्क को आतंकित नही कर पाता। इसके विपरित उसके पहले कदम के साथ ही उसकी टांगे टूट जाती। पढ़ना जारी रखें “अनुपात का सिद्धांत और दानवाकार प्राणी: परग्रही जीवन श्रंखला भाग ७”

वे कैसे दिखते होंगे ?: परग्रही जीवन श्रंखला भाग ६


परग्रही (चित्रकार की कल्पना)
परग्रही (चित्रकार की कल्पना)

हमारे मन में परग्रही के आकार-प्रकार की जो भी कल्पना है वह हालीवुड की फिल्मो से है। विभिन्न हालीवुड की फिल्मे जैसे एम आई बी,  एलीयन,  स्पीसीज इत्यादि मे अधिकतर परग्रहीयो को मानव के जैसे आकार में या कीड़े मकोड़ों के जैसे दर्शाया है। इन फिल्मो को देखकर हमारे मन में परग्रहीयो का वही रूप बस गया है।

परग्रही जीवन की सममिती

वैज्ञानिकों ने भौतिकी, जीवविज्ञान और रसायन विज्ञान के नियमों का प्रयोग कर यह अनुमान लगाने का प्रयास किया है कि परग्रही जीव कैसे दिखते होंगे। न्युटन को आश्चर्य होता था कि वह अपने आसपास जितने भी प्राणी देखते है सभी के सभी द्विपक्षीय सममिति वाले है, दो आंखें, दो हाथ और दो पैर एक सममिति में ! यह संयोगवश है या भगवान की कृति ? पढ़ना जारी रखें “वे कैसे दिखते होंगे ?: परग्रही जीवन श्रंखला भाग ६”

कहां है वे ? : परग्रही जीवन श्रंखला भाग ४

सेटी प्रोजेक्ट ने अभी तक परग्रही जीवन का कोई भी संकेत नही पकड़ा है। विज्ञानीयो को अब फ्रैंक ड्रेक के बुद्धिमान परग्रही सभ्यता समीकरण के कारक पूर्वानुमानो पर पुनर्विचार करने आवश्यकता महसूस हुयी। हाल मे प्राप्त हुयी खगोल विज्ञान की नयी जानकारीयो के अनुसार बुद्धिमान परग्रही सभ्यता की संभावना, १९६० मे फ्रेंक ड्रेक द्वारा गणना की गयी संभावना से कहीं अलग है। बुद्धिमान परग्रही जीवन की नयी संभावना मूल संभावना से ज्यादा आशावादी और ज्यादा निराशावादी दोनो है।

गोल्डीलाक क्षेत्र

गोल्डीलाक क्षेत्र का एक ग्रह "हमारी धरती"।
गोल्डीलाक क्षेत्र का एक ग्रह "हमारी धरती"।

गोल्डीलाक क्षेत्र तारे से उस दूरी वाले क्षेत्र को कहा जाता है जहां पर कोई ग्रह अपनी सतह पर द्रव जल रख सकता है तथा पृथ्वी जैसे जीवन का भरण पोषण कर सकता है। यह निवास योग्य क्षेत्र दो क्षेत्रो का प्रतिच्छेदन(intersection) क्षेत्र है जिन्हे जीवन के लिये सहायक होना चाहिये; इनमे से एक क्षेत्र ग्रहीय प्रणाली का है तथा दूसरा क्षेत्र आकाशगंगा का है। इस क्षेत्र के ग्रह और उनके चन्द्रमा जीवन की सम्भावना के उपयुक्त है और पृथ्वी के जैसे जीवन के लिये सहायक हो सकते है। सामान्यत: यह सिद्धांत चन्द्रमाओ पर लागू नही होता क्योंकि चन्द्रमाओ पर जीवन उसके मातृ ग्रह से दूरी पर भी निर्भर करता है तथा हमारे पास इस बारे मे ज्यादा सैद्धांतिक जानकारी नही है। पढ़ना जारी रखें “कहां है वे ? : परग्रही जीवन श्रंखला भाग ४”

पृथ्वी के बाहर जीवन की वैज्ञानिक खोज : परग्रही जीवन श्रंखला भाग २

अंतरिक्ष मे जीवन की खोज करने वाले विज्ञानीयो के अनुसार अंतरिक्ष मे जीवन के बारे मे कुछ भी निश्चित कह पाना कठीन है। हम ज्ञात भौतिकी, रसायन शास्त्र और जीव विज्ञान के नियमो के अनुसार कुछ अनुमान ही लगा सकते है।

अंतरिक्ष मे जीवन की खोज से पहले यह सुनिश्चित कर लेना आवश्यक है कि किसी ग्रह पर जीवन के लिये मूलभूत आवश्यकता क्या है? पृथ्वी पर जीवन और जीवन के विकास के अध्यन तथा ज्ञात भौतिकी, रसायन शास्त्र और जीव विज्ञान के नियमो के अनुसार अंतरिक्ष मे जीवन के लिये जो आवश्यक है उनमे से प्रमुख है: